NPA क्या होता है? Non-Performing Asset in Hindi

Sansar LochanBanking, Economics Notes

सरल शब्दों में कहें तो जब बैंक किसी व्यक्ति को लोन देती है तो कभी-कभी ऐसा होता है कि लोन लेना वाला इंसान बैंक को regular payment नहीं कर पाता है. फिर बैंक उसे एक नोटिस भेजती है कि भाई तुम अपना देख लो, नहीं तो तुम्हारे खिलाफ लीगल एक्शन लिया जायेगा…फिर भी वह आदमी payment नहीं करता है या कर पाता है. अब उसके खिलाफ बैंक ने क्या एक्शन लिया वो बैंक ही जाने…पर हम NPA की बात करने वाले हैं, इसलिए NPA की ही बात करेंगे. जब वह आदमी बैंक को पैसे/interest चुकाने में नाकामयाब हो जाता है तो बैंक उस लोन को Non-Performing Asset (NPA) (=Bad Loan) करार देती है. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि भारत में अभी के date में 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा NPA है.

Debt Recovery tribunals क्या है?

  1. 90s के पहले बैंक को bad loans को recover करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.
  2. क्योंकि ज्यादातर लोन लेने वाले बैंकों की कुछ प्रतिक्रिया आये, उससे पहले से ही उल्टा बैंकों पर case ठोक देते थे कि मेरे साथ नाइंसाफी हुई, गलत info बताकर लोन दिया गया आदि-आदि …और ये cases सिविल कोर्ट में चलते रहते थे…तारीख पे तारीख…तारीख पे तारीख….
  3. इसलिए 1993 में सरकार ने NPA matters को deal करने के लिए Debt Recovery Tribunals की स्थापना किया.
  4. अब borrowers सिविल कोर्ट में अपील नहीं कर सकते हैं. उनके cases Debt Recovery Tribunals (DRT) में ही चलते हैं.
  5. भले ही इससे बैंकों को इससे सुविधा हुई हो पर DRT में अभी 75 हज़ार से अधिक cases pending पड़े हैं.
  6. 2002 में गवर्नमेंट ने एक एक्ट लाया था जिसका नाम था – SARFAESI Act

SARFAESI Act क्या है?

SARFAESI का full form है  –

  • Securitisation
  • and Reconstruction
  • of Financial Assets
  • and Enforcement of Security Interest Act, 2002

मानिए, गजोधर भैया ने 100 करोड़ की एक फैक्ट्री खोली. उसने इतने सारे पैसे निम्नलिखित sources से लाया –

1. Equity (IPO >Shares) <<इनके बारे में यहाँ पढ़ें)

  • खुद का पैसा = 20 crore
  • IPO/Public से= 30 crore

2. Debt (loans, bonds)

  • Business loan from Bank = 40 crore
  • Bonds = 10 crore

Total = 100 crore.

शुरुआत में गजोधर भैया की कंपनी अच्छे से चली. मगर गजोधर ने जहाँ से MBA किया था, वहाँ के सारे classes, books वह भूल गया और उसकी कंपनी डूबने लगी और loss होने लगा. अब वह बैंक की EMI भरने में असमर्थ होने लगा. बैंक ने उसको नोटिस भेजा. फिर भी गोजधर EMI भरने में असमर्थ था. SBI ने 40 crore रुपये को NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया. जब एक बार loan NPA घोषित कर दिया जाता है तो बैंक SARFAESI Act के अंतर्गत लोन recover करने के लिए action ले सकती है.

Bank के पास SARFAESI Act के चलते निम्नलिखित powers हैं –

  1. गजोधर के assets (commercial, residential, fixed or moving) को बैंक बिना कोर्ट के आर्डर के बिना जब्त कर सकती है.
  2. उसके assets को Auction/Sale कर सकती है.
  3. यदि गजोधर ने किसी तीसरे को अपना asset पहले से ही बेच दिया है तो बैंक तीसरे इंसान से भी सारे assets ले सकती है.
  4. यदि तीसरे खरीददार के पास गोजोधर के पैसे हैं तो banks उसे भी ले सकती है.

* SARFAESI के अंतर्गत 10 लाख तक के लोन का मामला ही आ सकता है.

* SARFAESI केवल उन परिसंपत्तियों पर ही लागू होता है जो ऋण प्राप्त करने के लिए “गिरवी / सुरक्षित” हों.

यदि गजोधर भैया ने बैंक से business loan लिया है तो बैंक उसे अपने कारखाने / मशीनी / वाहनों / भूमि आदि को बंधक (mortgage) के रूप में रखने के लिए कहता है. इसलिए बैंक SARFAESI के नाम पर गजोधर के निजी घर-फर्नीचर, महँगी कलाई-घड़ी या उनके बेटे की साइकिल नहीं ले सकता है. Agricultural land को भी SARFAESI act में शामिल नहीं किया गया है.

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