[Sansar Editorial] E-Way Bill क्या है? यह कैसे Generate किया जा सकता है?

RuchiraBills and Laws: Salient Features, Polity Notes, Sansar Editorial 2018

e_way_bill

GST परिषद् ने 16 दिसम्बर को अपनी बैठक में 1 जून, 2018 तक E-way bill को देश भर में लागू करने का फैसला किया था. अब इसका trial शुरू हो गया है. देश के तमाम राज्यों के भीतर वस्तुओं के आवागमन के लिए E-way bill को 1 फरवरी, 2018 को लागू कर दिया जायेगा. वहीं राज्यों के ही भीतर e-way bill को 1 जून, 2018 से लागू कर दिया  जायेगा. सरकार को उम्मीद है कि electronic bills की शुरुआत के बाद GST के collection में 20-25% की वृद्धि हो सकती है. इससे माल की आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी और revenue leakage को रोका जा सकेगा. चलिए जानते हैं क्या है e-way bill? इससे व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों और सरकारी एजेंसियों को क्या फायदा होगा? ये बिल generate और download कैसे होगा?

E-Way Bill किसके लिए?

  1. हर राज्य में 10 km अन्दर तक प्रवेश करने वाले उन वाहनों को e-way bill भरना जरुरी होगा जिनमें 50 हजार रुपये से ज्यादा का सामान लदा हो.
  2. फल/सब्जियों और कुछ अन्य सामान इसमें शामिल नहीं हैं.
  3. इसका इस्तेमाल देश के किसी भी हिस्से से कहीं भी सामान भेजने के लिए किया जायेगा.
  4. E-way bill के लिए GSTN portal से अलग एक वेबसाइट बनाई गई है (official website link >>http://164.100.80.180/ewbnat9/)
  5. देशभर के सभी कारोबारी, traders इस वेबसाइट पर e-way bill generate और download कर पाएंगे.

इ-वे बिल कैसे मिलेगा?

  1. इ-वे बिलिंग शुरू होने के बाद कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों को किसी भी टैक्स ऑफिस, चेक पोस्ट पर जाने की जरुरत नहीं होगी.
  2. कारोबारी खुद ही इसे electronically generate कर सकेंगे.
  3. जिन कारोबारियों के पास इन्टरनेट की सुविधा नहीं है, वे SMS service से e-way bill generate कर सकते हैं. इसके लिए कारोबारियों को अपना मोबाइल नंबर register कराना होगा.
  4. SMS के अलावा QR code जैसे feature भी जोड़े गए हैं.
  5. जो transporter GST में registered नहीं हैं, उन्हें भी Pan या Aadhar number की मदद से e-way bill generate करने की सुविधा मिलेगी.
  6. बिल generate करते समय परिवहन में इस्तेमाल होने वाले वाहन का नंबर डाला जा सकेगा.
  7. सरकार ने इ-वे बिल के लिए android app भी launch किया है जिसे प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.

देश के कई राज्यों में पहले से ही किसी न किसी रूप में e-way bill मौजूद हैं. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत 14 राज्य ऐसे हैं जो फरवरी में  इस नए system को अपनाएंगे. अब सवाल यह है कि यह व्यवस्था पुरानी व्यवस्था से किस प्रकार अलग है और टैक्स चोरी रोकने में यह किस तरह से कारगर होगी?

E-way bill दरअसल GST तंत्र का एक प्रकार का हिस्सा है जिसमें एक जगह से दूसरी जगह सामान ले जाने से जुड़े प्रावधान हैं. ये पुराने व्यापार कर, जैसे – चुंगी तथा उनसे सम्बंधित Form-31 जैसी व्यवस्थाओं को आसान करने और करों का केन्द्रीयकरण करने की कोशिश है.

पुराने सिस्टम में क्या कमजोरी थी?

  1. माल की आवाजाही की निगरानी करना राज्यों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. टैक्स चोरी और राजस्व का नुकसान रोकने के लिए अभी तक राजमार्गों और सीमाओं पर कई check-posts बनाए जाते हैं. ये चेक-पोस्ट मुख्य रूप से सामान की आवाजाही की निगरानी करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि माल पर सम्बंधित कर का भुगतान किया गया है.
  2. इसके लिए सामान ले जाने वालों को कई तरह के दस्तावेज, जैसे – चालान, सड़क परमिट, रास्ता बिल जैसी चीजें लेकर चलनी पड़ती थीं.
  3. इसके बावजूद फर्जी कागज़ और अधिकारियों की मिलीभगत से tax का पूरा भुगतान किये बगैर सामान इधर से उधर भेज दिया जाता था.

E-Way Bill आने क्या बाद क्या होगा?

  1. अब कई फ़ोर्मों (forms) और बिलों की जगह एक ई-वे बिल ले लेगा.
  2. पूरी यात्रा के दौरान इसका केवल 1 बार ही verification होगा.
  3. जांच और verification की ऑनलाइन रिपोर्टिंग होगी.
  4. ऑनलाइन होने की वजह से चेक पोस्ट पर verification में कम समय लगेगा.
  5. पूरी तरह ऑनलाइन होने से भ्रष्टाचार में कमी आएगी.
  6. इससे माल और परिवहन की tracking आसान हो जाएगी.
  7. Unique E-way bill number और QR code के जरिये व्यापार को नियमित करना आसान हो जायेगा और हर गतिविधि सरकार की नजर में रहेगी.
  8. E-way bill व्यवस्था में ट्रांसपोर्टर को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग व्यवस्था से जूझना नहीं होगा.

हालाँकि 50 हजार रुपए से कम मूल्य के सामान, अंतर्राष्ट्रीय पोर्ट से देश में लाये जा रहे सामान या केंद्र या राज्यों के निर्धारित विशेष क्षेत्र में अन्तर्राज्यीय आवाजाही करने के लिए e-way bill की जरुरत नहीं पड़ेगी.

Read all Editorial articles here >> Sansar Editorials

Source: PIB, The Hindu, The Economic Times

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]