Basava Vachana Deepthi केस – Free Expression पर प्रतिबंध

Sansar LochanEthics

सरकार ने माते महादेवी (Mate Mahadevi) नामक लेखिका द्वारा रचित एक पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया था जिसका नाम “Basava Vachana Deepthi” था. यह मामला सर्वोच्च न्यायलय तक गया जहाँ हाल ही में इस प्रतिबंध की पुष्टि की गई.

Basava Vachana Deepthi घटनाक्रम

  1. Basava Vachana Deepthi पर कर्नाटक सरकार ने 1998 में प्रतिबंध लगाया था. इसका कारण यह दिया गया था कि उसकी विषय वस्तु से वीर शैवों (veera shaivas) की धार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं.
  2. पुस्तक पर यह प्रतिबंध CrPC की धारा 95 के अंतर्गत लागू किया गया था जिसके अनुसार किसी प्रकाशन पर विशेष आधार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
  3. कहा जाता है कि पुस्तक लेखिका ने स्वामी बासवेश्वर के कुछ वचनों में हेर-फेर किया था, जिसका उद्देश्य लेखिका के अपने स्वयं के विचारों को पुष्ट करना था.

प्रतिबंध का क्या प्रभाव हो सकता है?

  1. इससे असहिष्णु प्रवृत्ति की जीत हुई.
  2. इसका अभिप्राय यह निकला कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तभी तक चलेगी जब तक उसका कहीं से भी कोई विरोध न हो.
  3. लोकतंत्र धार्मिक उन्माद के आगे नतमस्तक है.
  4. इस निर्णय से यह सिद्ध हो गया कि सरकार जब चाहे CrPC Section 95 लागू करके किसी भी प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा सकती है और ऐसे प्रतिबंध को निष्प्रभावी करने की लड़ाई लेखक को स्वयं करनी पड़ेगी.

क्या होना चाहिए?

  1. किसी पुस्तक को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार को यह निःसंदेह रूप से सिद्ध करना होगा कि इससे किसी धार्मिक समुदाय की भावनाएँ जानबूझ कर घृणा उत्पन्न करने के लिए आहत की गई हैं.
  2. सरकार को यह बोध होना चाहिए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आधारशिला है.

UPSC MAINS  सामान्य अध्ययन IV ETHICS में कुछ सवाल इस टॉपिक से आ सकते हैं :-

  1. सरकार को यह बोध होना चाहिए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आधारशिला है. हाल के केस को संज्ञान में लेकर इसपर प्रकाश डालें.
  2. “लोकतत्र धार्मिक उन्माद के आगे नतमस्तक है” – यह कहाँ तक सही है? उदाहरण देकर इसकी पुष्टि करें.

Ethics के notes इस पेज पर जोड़े जा जायेंगे >> Ethics HINDI

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]